Vedic Astrology Classics

गजकेसरी योग

1887

केन्द्रस्थिते देवगुरौ मृगांकाद्योगस्तदाहुर्गजकेसरीति

दृष्टेसुतेवेन्दुसुतः शशांके नीचास्तहीनैर्गजकेसरीस्यात्॥ 1॥

गजकेसरिसंजातस्तेजस्वी धनवान् भवेत्।

मेधावी गुणसम्पन्नो राजप्रियकरो भवेत्॥ 2॥

Shridhar Sharma, Ch.22.1-2

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1961

केन्द्रस्थिते देवगुरौ मृगांकाद्योगस्तदाहुर्गजकेसरीति

दृष्टे युते वेन्दसुते शशांके नीचास्तहीनैर्गजकेसरीस्यात्॥ 1॥

गजकेसरिसंजातस्तेजस्वी धनवान् भवेत्।

मेधावी गुणसम्पन्नो राजप्रियकरो भवेत्॥ 2॥

Tarachand,

Ch.18.1-2

चन्द्रमा से बृहस्पति केन्द्र में हो तो ‘गजकेसरी’ नाम का योग होता है। और नीच और अस्तरहित ग्रहों से दृष्ट अथवा युक्त बुध या चन्द्रमा हो तो भी ‘गजकेसरी’ योग होता है। गजकेसरी में उत्पन्न हुआ मनुष्य तेजस्वी, धनवान, बुद्धिमान्, गुणी और राजप्रिय होता है।

1995

केन्द्रस्थिते देवगुरौ शशांकाद् योगस्तदाहुर्गजकेसरीति

दृष्टे सितार्येन्दुसुते शशांके नीचास्तहीनैर्गजकेसरीति॥ 1॥

गजकेसरिसंजातस्तेजस्वी धनवान् भवेत्।

मेधावी गुणसम्पन्नो राजप्रियकरो भवेत्॥ 2॥

1995, SC Mishra, Ch.34.3-4

2021, KS Charak, Ch.34.3-4

चन्द्रमा से 1. 4. 7. 10 भावों में गुरु हो तो यह गजकेसरी योग है, ऐसा प्रायः सभी लोगों ने माना है। चन्द्रमा से केन्द्र में बुध, या शुक्र स्थित हों, चन्द्र दृष्टि रखे, या योग करे, यह भी गजकेसरी योग है। चन्द्रमा एवं यागकारक ग्रह नीचास्त शत्राु क्षेत्राी न हो यह शर्त दोनों में है।

गजकेसरी योग में जातक तेजस्वी, धनी, मेधावी, राजसहयोग पाने वाला, राज का प्रिय कार्य करने वाला, दबंग, सभाचतुर आदि होता है।

1995, SC Mishra, Ch.34.3-4

Translation awaited.

2021, KS Charak, Ch.34.3-4


1946

केन्द्रे देवगुरौ लग्नाच्चन्द्राद्वा शुभदृग्युते।

नीचास्तारिगृहैर्हीने योगोऽयं गजकेसरी॥ 3॥

गजकेसरिस×जातस्तेजस्वी धनवान् भवेत्।

मेधावी गुणसम्पन्नो राजप्रियकरो नरः॥ 4॥

1946, Sitaram Jha, Ch.37.3-4

1984, R Santhanam, Ch.36.3-4

1994, GC Sharma, Ch.38.3-4

लग्न अथवा चन्द्रमा से यदि गुरु केन्द्र में हो और शुभग्रह मात्रा से दृष्ट युत हो तथा यदि अस्त नीच और शत्राु राशि में नहीं हो तो गजकेसरी नामक योग होता है। फल स्पष्टार्थ है॥ 3-4॥

1946, Sitaram Jha, Ch.37.3-4

3-4. Gajakesari Yoga: Should Jupiter be in an angle from the ascendant or from the Moon, and be conjunct or aspected by (another) benefic, avoiding at the same time debilitation, combusion and inimical sign, Gajakesari yoga is caused. Intelligent endowed with many laudable virtues and will please the king.

1984, R Santhanam, Ch.36.3-4

3-4. Gajakeshari Yoga: If Jupiter is in an angle from the Ascendant or from the Moon, and if he is in conjunction with and is aspected by a benefic and if he (Jupiter) is not in a debilited or combust or inimical sign, the yoga thus caused is called Gaja Keshri yoga. The native born in this Yoga will be splendorous, wealth, intelligent, endowed with many virtues and be a favorite of the king.

1994, GC Sharma, Ch38.3-4